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दमोह जिले का एक मात्र अस्पताल अव्यवस्था के घेरे में है। स्वास्थ्य महकमे के मुखिया को जिला अस्पताल की बदहाली का पता नहीं।

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दमोह जिले का एक मात्र अस्पताल अव्यवस्था के घेरे में है।
स्वास्थ्य महकमे के मुखिया को जिला अस्पताल की बदहाली का पता नहीं।

दमोह जिले का एक मात्र अस्पताल अव्यवस्था के घेरे में है। करोड़ों की लागत से भवन तो खड़े कर दिए गए लेकिन व्यवस्था सुधरने का नाम नहीं लेती है। कुछ समय पूर्व ही जिला अस्पताल मै पांच प्रसूताओं की मौत हुई थी, अस्पताल से बच्चा चोरी हुआ, अस्पताल के कचरा घर में एक भ्रूण मिला था तो कभी जिला अस्पताल के स्टाफ द्वारा मरीजों को उठा उठाकर कर पटकने का वीडियो वायरल होता है तो कभी एंबुलेंस वालों का मरीज से पैसा मांगते वीडियो वायरल होता है दमोह कलेक्टर चाहते हैं की स्वास्थ्य और शिक्षा व्यवस्था में सुधार आए लेकिन अव्यवस्था के आदि कर्मचारी कलेक्टर के पीठ फेरते ही उसी अव्यस्था में लीन हो जाते हैं। दूर दराज से आने वाले मरीज और उनके परिजन इन अव्यस्थाओं का शिकार होते रहते है। व्यवस्थाओं की बदहाली की कहानी जिला अस्पताल का आईसीयू वॉर्ड भी कह रहा है।

10 बिस्तर वाले आईसीयू ओर 20 बिस्तर वाले एच डी यू होने के बावजूद मात्र 6 बिस्तर चालू रखकर बाकी गंभीर मरीजों को जबलपुर रेफर करने का खेल खेला जा रहा है।
जिला अस्पताल के मुखिया सीएमएचओ से जब हमने जिला अस्पताल की अव्यवस्थाओं के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि जिला अस्पताल में जो आईसीयू बेड है। दो बेड पर एक नर्स होनी चाहिए जो पर्याप्त मात्रा में नहीं है आपको बता दें कि जिला अस्पताल में यूं तो बहुत सी नर्स है और स्टाफ की कोई कमी नहीं है लेकिन आईसीयू में रहने वाली नर्सों की ट्रेनिंग 21 दिन की अलग से होती है जिसे जिला अस्पताल अपने स्टाफ को ट्रेनिंग

कराता है पिछले कई वर्षों से जिला अस्पताल के आईसीयू वार्ड के और एच डी यू वार्ड के पलंग खाली पड़े हैं और गंभीर मरीजों को जबलपुर भेजा जाता है लेकिन नर्सों की ट्रेनिंग नहीं कराई जा रही इसमें गलती किसी की हो लेकिन गंभीर मरीजों को इस बात से नुकसान उठाना पड़ रहा है। जिला अस्पताल में 6 से अधिक एमडी डॉक्टर और सीनियर डॉक्टर की भरमार है लेकिन जिला अस्पताल की ओपीडी पिछले कई दिनों से जूनियर डॉक्टर चला रहे हैं

सीनियर डॉक्टर महज सिग्नेचर कर अपने प्राइवेट क्लीनिक चला रहे हैं जहां उन्हें मोटी कमाई होती है यही वजह है कि वह जिला अस्पताल में पदस्थ होने के बाद भी जिला अस्पताल के मरीजों पर ध्यान न देकर अपने प्राइवेट मरीजों को देखने में उनकी दिलचस्पी ज्यादा बनी रहती है दमोह कलेक्टर को चाहिए कि दमोह जिले की ओपीडी में सीनियर डॉक्टर को बैठने का सुनिश्चित किया जाए ताकि छोटी बीमारियों से परेशान मरीजों को भर्ती ना होना पड़े। आपको बता दें कि इस वक्त डेंगू के केस जिले में बढ़ते जा रहे हैं लेकिन जिला अस्पताल के आला अधिकारियों को इतनी फुर्सत

नहीं है कि डेंगू का अलग वार्ड बना दिया जाए सभी पेशेंटो के साथ डेंगू मरीजों को रखा जा रहा है जबकि जिला अस्पताल में पदस्थ एक जिला अस्पताल का कर्मचारी ही डेंगू की बीमारी से ग्रसित था जिसे दमोह जिला अस्पताल के आईसीयू में ही उस कर्मचारी को रखा था। इसके बाद उसे जबलपुर रेफर कर दिया गया था। जहां उसकी मौत हो जाने का दुखद घटनाक्रम सामने आया था उसके बावजूद भी जिला अस्पताल डेंगू मरीजों को लेकर सीरियस नहीं दिखाई दे रहा हे

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