1 साल पटाखा के लाइसेंस निरस्त होने के बाद कुछ दिनों के लिए मिले लाइसेंस का फायदा उठाया दुकानदारों ने तो गरीब तपके के लोग नहीं दिला पाएं अपने बच्चों को पटाखे।
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दमोह में 1 साल पटाखा के लाइसेंस निरस्त होने के बाद कुछ दिनों के लिए मिले लाइसेंस का फायदा उठाते हुए इतने महंगे पटाखे बेचे जिससे दुकानदारों को एक साल में जो नुकसान हुआ है वह ब्याज सहित चौगुना बसूला जिस वजह से सनातन धर्म के सबसे बड़े त्योहार दीपावली की खुशियां जहां लोग हर साल पटाखे फोड़कर मनाते थे इस बार भी सभी सनातन के लोग पिछले वर्ष से अधिक

पटाखा चलाने के मूड में थे क्योंकि इस बार भगवान राम लला अपने भव्य मंदिर में विराजमान होने पर यह पहली दीपावली थी जिसकी खुशियां संपूर्ण भारत में मनाई गई लेकिन दमोह के सनातन धर्म के गरीब जन इन व्यापारियों की मनमानी और बदला लेने के उद्देश्य से पटाखे की कीमत पिछले वर्ष से इस वर्ष चौगुने रेट पर दिखाई दी

जिस दुकान पर भी पटाखे लेने जाओ और उनसे बोलो कि भैया पटाखे महंगे हैं तो सभी दुकानदार प्रशासन को दोषी बताता नजर आया उन्होंने बताया कि पिछले 1 साल से लाइसेंस निरस्त था यही वजह है कि पटाखे महंगे बेचने पड़ रहे हैं।

तो वहीं सामान्य वर्ग के लोगों से जब कम खरीदी की वजह जानी तो उन्होंने बताया की महंगे पटाखों की वजह से इस साल हमारा उत्साह और त्योहार फीका नजर आ रहा है और यही वजह है कि इस साल पटाखे कम खरीदे हैं। बढ़ती महंगाई और सोशल मीडिया पर हिंदुओं को ज्ञान बांटते बुद्धिजीवियों के चलते वैसे ही सनातन धर्म के कई त्यौहार अब खत्म होने की कगार पर है यही वजह है कि

भारत में इस बड़े त्यौंहार पर कई हिंदू संगठनों ने सनातन धर्म के कमजोर तपके के लोगों को जहां पटाखे से लेकर पूजा सामग्री बांटी तो वही दमोह में कोई भी संगठन इन व्यापारियों की मनमानी को रोकने सामने नहीं आया ना ही सनातन धर्म के गरीब तपके के लोगों की किसी भी प्रकार से कोई मदद की।

पिछले साल हुए पटाखा फैक्ट्री ब्लास्ट में 6 मौतें हो जाने के बाद पटाखा व्यापारियों पर सरकार द्वारा की गई सख़्ती के बाद दमोह में बिक रहे पटाखो पर प्रशासन द्वारा जब व्यापारियों के लाइसेंस चेक किए गए और सरकार द्वारा दी गई गाइडलाइंस को देखा गया तो पाया गया की संपूर्ण दमोह में जितने भी पटाखा व्यापारी थे वह सभी धड़ल्ले से सरकार को ठेंगा दिखाते हुए लाइसेंस के पैमाने से अधिक पटाखे रखे हुए थे और प्रतिबंधित पटाखे का भी इस्तेमाल कर रहे थे इनके द्वारा बनाई गई गोदाम में भी कई

अनियमितताएं देखी गई थी जिसमें प्रमुख रूप से जहां पर पटाखा गोदामें है उसके नजदीक ही पेट्रोल पंप होने की वजह से सभी पटाखा गोदाम को प्रशासन द्वारा सील कर दिया गया था जबकि संपूर्ण मध्य प्रदेश में कहीं भी पटाखा व्यापारियों के लाइसेंस निरस्त नहीं किए गए थे दमोह के यह पटाखा व्यापारी इतनी बड़ी अनियमिताएं कर रहे थे अगर प्रशासन समय रहते कार्रवाई नहीं करता और कोई घटना दुर्घटना हो जाती जिससे हजारों लोगों की मौत होने की आशंका बनी हुई थी यही वजह है कि दमोह के संपूर्ण दुकानदारों के लाइसेंस निरस्त किए गए थे लेकिन व्यापारियों ने हिंदुओं की भावनाओं की आड बनाते हुए और त्योहार का हवाला और ऊपर से राम जन्म भूमि में विराजमान श्री राम लला के पहले वर्ष पढ़ने वाली

दीपावली का फायदा उठाते हुए प्रशासन पर दबाव बनाकर अपनी मनमानी कर शासन से फायदा उठा लिया लेकिन इस फायदे के बावजूद भी गरीब जनता को यह व्यापारी जरा सी भी रियायत देने को तैयार नहीं दिखाई दिए मनमाने रेट पर पटाखे बेचे जा गए जिससे गरीब व मध्यम वर्ग के लोगों को आज अपने बच्चों को पटाखा दिलाना एक टेढ़ी खीर दिखाई देती नजर आई धनतेरस के दिन पटाखा व्यापारियों को प्रशासन ने लाभ दिया जो पटाखे प्रशासन ने जप्त किए थे उन्हें नष्ट किया जाना था प्रशासन ने नष्ट न कर हिंदुओं की भावनाओं को देखते हुए इन पटाखा व्यापारियों को वही पटाखे बेचने के लिए वापस दे दिए जिसमें आठ गोदामो में भरे लाखों रुपए से अधिक के पटाखे जो नष्ट किए जाने थे इन दुकानदारों को वापस दे दिए लेकिन यह अब जरा भी हिंदुओं की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए गरीब जनता को राहत नहीं दे रहे और मनमाने रेट पर पटाखे बेच रहे हैं जिससे दुकानदार लाखों की कमाई कर रहे हैं

यही पटाखे सागर और जबलपुर कटनी में आधे से कम दामों में मिल रहे हैं जो फुलझड़ी यहां पर 50 से ₹100 की बेची जा रही है वह बाहर शहरों में मात्र 20 से 30 रुपए की आ रही है और जो सूत्री बम का पैकेट यह ₹100 से अधिक में बेच रहे हैं वह 30 से ₹40 का आ रहा है गरीब हिंदुओं के त्यौहार दीपावली पर महंगे पटाखों की वजह से जहां व्यापारियों ने मोटी कमाई की जबकि हिंदुओं की भावनाओं को देखते हुए प्रशासन ने लाखों रुपए से अधिक के पटाखे नष्ट न कर व्यापारियों को फिर से बेचने का दिया अवसर।और अवसर का लाभ उठाकर व्यापारी उन्हीं हिंदुओं को ही लूटने में लग रहे। तो
वही गरीब हिंदुओं की फीकी रही दिवाली।
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