किसान से रिश्वत लेने के आरोप में दमोह कलेक्टर के आदेश के बावजूद भी सर्वेयर महेंद्र चौबे को क्यों नहीं हटाया जा रहा था।
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कलेक्टर कोचर ने सेवा सहकारी समिति हरदुआ मुड़र सर्वेयर महेन्द्र चौबे को तत्काल हटाने के दिए थे आदेश। आदेश के बावजूद भी सर्वेयर अपनी जगह पर करवा रहा था खरीदी।
दमोह जिले में इन दिनों कृषि की कई फैसले बेची जा रही है जिनकी खरीदी समितियां द्वारा की जा रही है फसलों में धान और सोयाबीन की खरीदी चल रही है जिसमें कई बार गड़बड़ियों की और पैसों की लेनदेन की बातें सामने आई लेकिन आज तक कोई भी सबूत न होने की वजह से कोई भी कार्यवाही नहीं हुई लेकिन एक मामला दमोह की तहसील पथरिया के कृषक भरत प्रसाद कुर्मी ग्राम कुमेरिया द्वारा सीएम हेल्पलाइन शिकायत क्रमांक 29968494 के माध्यम से शिकायत की गई की समिति सर्वेयर महेंद्र चौबे द्वारा सोयाबीन की खरीदी के लिए ₹6000 की रिश्वत मांगी गई जिस पर दमोह कलेक्टर द्वारा तत्काल ही 3 दिसंबर को जांच के आदेश देकर कार्यवाही के निर्देश दिए गए जांच में
कृषक भरत प्रसाद कुर्मी द्वारा फोन पे के माध्यम से भुगतान किए गए रूपये 2000 का स्क्रीनशॉट एवं समिति सर्वेयर महेन्द्र चौबे के कारण बताओ नोटिस के जबाव से असहमत होने पर सहायक आयुक्त सहकारिता को निर्देशित किया कि समिति सर्वेयर सोयाबीन उपार्जन केन्द्र सेवा सहकारी समिति हरदुआ मुड़र महेंद्र चौबे को तत्काल उपार्जन कार्य से पृथक कर दण्डात्मक कार्यवाही करते हुए उनके स्थान पर किसी अन्य योग्यताधारी समिति सर्वेयर को तत्काल रखा जाये तथा की गई कार्यवाही से तत्काल सूचित करना सुनिश्चित किया जाये।
यह आदेश 19 दिसंबर को जारी किया गया था इसके बावजूद भी समिति सर्वेयर महेन्द्र चौबे कल 20 दिसंबर तक सर्वेयर बनकर खरीदी करते रहे डेंजर भारत की टीम जब कल दोपहर 3:00 बजे खरीदी केंद्र पर पहुंची और सर्वेयर महेंद्र चौबे से इस बारे में पूछा कि आपको जब कल कलेक्टर के आदेश पर तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है तब आप यहां पर खरीदी केंद्र में खरीदी कैसे कर रहे हैं जिस पर उनका कोई जवाब नहीं मिला तब AR कोरी को फोन लगाया तो उन्होंने बताया कि आज ही उसे हटाया है मतलब साफ है कि कलेक्टर के आदेश के बावजूद भी सर्वेयर को क्यों नहीं हटाया जा रहा था जब कलेक्टर के आदेश का पत्र सोशल मीडिया में वायरल हुआ और मीडिया खरीदी केंद्र तक पहुंच गई तब जाकर आनन-फानन में कलेक्टर के आदेशों का पालन हुआ इससे यह स्पष्ट है कि इस भ्रष्टाचार में शामिल महज महेंद्र चौबे एक मोहरा है बड़े मगरमच्छ इस कार्यवाही से साफ बच गए जबकि सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत होने के बाद 3 दिसंबर से अभी तक चौबे निरंतर अपने कार्य वैसे ही करते रहे जैसे उनके ऊपर आरोप लगे हैं अगर महेंद्र चौबे पर लगे आरोप सही है तो 3 दिसंबर से 19 दिसंबर तक इनके द्वारा जो खरीदी की गई है क्या उसमें चौबे ने पैसा नहीं लिया होगा अगर लिया है तो वह बंदर बांट कहां कहां हुआ है इसकी भी जांच होनी चाहिए।
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