दमोह में नहीं रूक रहा भ्रष्टाचार का खेल लगातार लोकायुक्त की हो रही कार्यवाही में पकड़े जा रहे हैं भ्रष्टाचारी एक और भ्रष्टाचारी को लोकायुक्त की कार्यवाही में धर दबोचा गया। डेंजर भारत प्रमुख तनुज पाराशर दादाभाई
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दमोह जिला भ्रष्टाचार का पर्याय बन चुका हैं जिस विभाग की ओर उंगली रख दो वही भ्रष्टाचार में दिखाई देता है। खनिज, शिक्षा, स्वास्थ्य, पंचायत, सहकारिता के भ्रष्टाचार की खबरें समाचार के माध्यम से आए दिन सुनने में आती रहती है। वहीं धड़ाधड़ लोकायुक्त रिश्वत खोरों को रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ रही है। लेकिन जिले का भ्रष्टाचार खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। दो दिन पहले ही मुख्य कार्यपालन अधिकारी पटेरा को लोकायुक्त ने 20 हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा था और हफ्ता भी नहीं बीता कि लोकायुक्त ने दूसरे भ्रष्टाचारी सहकारिता विभाग के ऑडिटर को 15 हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया।

दरअसल सहायक आयुक्त सहकारिता कार्यालय में पदस्थ अंकेक्षण अधिकारी रमेश प्रसाद कोरी आवेदक जीवन लाल पटेल जो कि ग्राम खिरिया मंडला में समिति मैनेजर के पद पर पदस्थ है, जो ऑडिट के नाम पर लगातार पैसे देने के लिए प्रताड़ित कर रहे थे। आरोपी रिश्वत खोर रमेश प्रसाद द्वारा सहकारी समिति खिरिया मड़ला में ऑडिट करने और उसमें कोई आपत्ति नहीं निकालने के एवज में 20000 रुपये रिश्वत की मांग की जा रही थी। पीड़ित जीवन लाल पटेल ने बताया कि ऑडिटर साहब द्वारा पिछले एक माह से लगातार फोन करके पैसों की मांग की जा रही थी। जीवन लाल ने बताया कि उनके पास पैसे नहीं थे तो मजबूरन उन्हें अपनी लगभग 18 क्विंटल धान बेचनी पड़ी।

धान बेचने से उनकी जो राशि प्राप्त हुई उसी से 15000 रु की राशि आज भ्रष्टाचार के आरोपी ऑडिटर को दी गई जिसे लेते हुए लोकायुक्त पुलिस ने ऑडिटर रमेश प्रसाद को रंगे हाथ गिरफ्तार किया था। जीवन लाल ने बताया कि इस संबंध में सहायक आयुक्त सहकारिता को कई बार बताया कि ऑडिटर द्वारा उनसे बिना वजह के पैसों की मांग की जा रही है। लेकिन सहायक आयुक्त सहकारिता द्वारा उनकी शिकायत पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। मजबूरन पीड़ित जीवन लाल पटेल को लोकायुक्त में जाकर भ्रष्ट एडिटर रमेश प्रसाद कोरी को रंगे हाथ पकड़वाना पड़ा। कार्यवाही करने वालों में निरीक्षक के पी एस बैन, उप पुलिस अधीक्षक बी एम द्विवेदी, आरक्षक आशुतोष व्यास, अरविंद नायक, विक्रम सिंह, संतोष गोस्वामी, गोल्डी पासी एवं दो स्वतंत्र साक्षी शामिल थे।

आला अधिकारी के संरक्षण में फल फूल रहा भ्रष्टाचार
सहायक आयुक्त सहकारिता कार्यालय में खुलेआम रिश्वत लेते ऑडिटर का पकड़ा जाना साबित करता है कि या तो दमोह जिले के भ्रष्टाचारियों को अपने अधिकारियों का खौफ नहीं है या जिम्मेदार अधिकारी इन भ्रष्टाचारियों को संरक्षण दे रहे हैं। यदि सहायक आयुक्त द्वारा रिश्वतखोर ऑडिटर पर समय रहते कार्यवाही की जाती तो लोकायुक्त कार्यवाही में जिले की खराब हो रही छबि को बचाया जा सकता था। जब जिम्मेदार अधिकारी एआर सौरभ कोठिया से पूछा गया कि आपके कार्यालय में पदस्थ ऑडिटर द्वारा रिश्वत की मांग की सूचना पर आपके द्वारा क्या कार्यवाही की गई तो उन्होंने कहा मैं तेंदूखेड़ा में हूं, बाद में बात करता हूं। वहीं तेंदूखेड़ा सहकारी समिति में खरीदी पर किसानों से 193 क्विंटल ज्यादा धान भरवाए जाने पर कहा कि आप लिखित शिकायत कर दीजिए। जबकि मीडिया में आए वीडियो और समाचार के माध्यम से ए आर सौरभ कोठिया चाहते तो मामले को संज्ञान लेते हुए जांच करवाई जा सकती थीं लेकिन ऐसा नहीं किया गया। ए आर साहब को भ्रष्टाचार की जांच के लिए लिखित शिकायत की प्रतीक्षा है। जब तक शिकायत नहीं मिलती तब तक तो भ्रष्टाचार चल ही सकता है।
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