दमोह मिशन अस्पताल कांड: फर्जी डिग्री वाले डॉक्टर की गिरफ्तारी के बाद कोर्ट में भड़का जनआक्रोश, वकीलों ने की मारपीट की कोशिश। डेंजर भारत प्रमुख तनुज पाराशर दादा भाई
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दमोह मिशन अस्पताल कांड: फर्जी डिग्री वाले डॉक्टर की गिरफ्तारी के बाद कोर्ट में भड़का जनआक्रोश, वकीलों ने की मारपीट की कोशिश। डेंजर भारत प्रमुख तनुज पाराशर दादा भाई
दमोह, मध्य प्रदेश। मिशन अस्पताल में हुई संदिग्ध मौतों के मामले में मुख्य आरोपी फर्जी डॉक्टर को पुलिस ने उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से गिरफ्तार किया। दमोह पुलिस द्वारा आरोपी डॉक्टर को जिला न्यायालय में पेश किए जाने के दौरान आम नागरिकों से लेकर वकीलों तक का गुस्सा फूट पड़ा। कोर्ट परिसर में आरोपी के खिलाफ जमकर नारेबाजी हुई और वकीलों ने आरोपी से मारपीट करने की भी कोशिश की, जिसे पुलिस की सतर्कता ने नाकाम कर दिया।
सूत्रों के अनुसार, डॉक्टर को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस ने उसे पहले जिला अस्पताल में मेडिकल परीक्षण के लिए ले जाया, फिर जिला अदालत में पेश किया। पुलिस ने कोर्ट से 5 दिन की रिमांड की मांग की, जिसे अदालत ने स्वीकार करते हुए डॉक्टर को पुलिस के हवाले कर दिया।

कोर्ट से बाहर निकलते समय माहौल तनावपूर्ण हो गया। जैसे ही आरोपी डॉक्टर को पुलिस वाहन में बैठाया गया, वहां मौजूद भीड़ ने नारेबाजी शुरू कर दी। “फांसी दो”, “डॉक्टर नहीं, हत्यारा है”, और “मिशन अस्पताल बंद करो” जैसे नारे गूंजने लगे। कुछ वकीलों ने आरोपी के प्रति आक्रोश दिखाते हुए अभद्र भाषा का प्रयोग किया और हाथ उठाने की भी कोशिश की, मगर पुलिस ने किसी भी अप्रिय घटना को होने से पहले ही स्थिति को संभाल लिया।

भीड़ का गुस्सा केवल डॉक्टर तक सीमित नहीं रहा, मिशन अस्पताल के प्रबंधन और प्रशासन के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की मांग की गई। स्थानीय लोगों ने बुलडोजर कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि ऐसे अस्पताल को संचालित करने की अनुमति देना ही एक बड़ी लापरवाही है।

दमोह के मिशन अस्पताल में हाल ही में कई मरीजों की मौत हुई थी, जिनकी जांच के दौरान सामने आया कि अस्पताल में कार्यरत एक डॉक्टर की डिग्री फर्जी थी। यह जानकारी सामने आने के बाद स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया। मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस ने आरोपी डॉक्टर को उत्तर प्रदेश से गिरफ्तार किया।


अब आगे क्या?
डॉक्टर से पूछताछ के दौरान अस्पताल प्रबंधन की भूमिका, फर्जी डिग्री के जरिए नौकरी पाने की प्रक्रिया, और इलाज में लापरवाही से हुई मौतों पर गहन जांच की जाएगी। पुलिस रिमांड के दौरान कई और खुलासे होने की संभावना जताई जा रही है।
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