दमोह में अंतिम यात्रा बनी खतरे का सबब, लोग अंतिम संस्कार में जाने से क्यों घबरा रहे… आइये जाने पूरी रिपोर्ट। डेंजर भारत प्रमुख तनुज पाराशर दादाभई
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दमोह में अंतिम यात्रा बनी खतरे का सबब, लोग अंतिम संस्कार में जाने से क्यों घबरा रहे… आइये जाने पूरी रिपोर्ट। डेंजर भारत प्रमुख तनुज पाराशर दादाभई
दमोह, मध्यप्रदेश – जिले के विभिन्न मुक्तिधामों में मधुमक्खियों के लगातार हमलों के चलते अब लोग अंतिम यात्रा में शामिल होने से डरने लगे हैं। जटाशंकर, सीता बावली, हटा नाका और सुरेखा कॉलोनी जैसे प्रमुख श्मशान घाटों के आसपास मधुमक्खियों के बड़े-बड़े छत्ते लगे हुए हैं, जो हर अंतिम संस्कार के समय एक गंभीर खतरा बनकर सामने आते हैं।
हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार जब शव को मुक्तिधाम ले जाया जाता है, तब आगे-आगे एक व्यक्ति धुएं से भरा मटका लेकर चलता है, जिसमें कंडे जल रहे होते हैं। इसी धुएं को मधुमक्खियां अपने ऊपर खतरा मानती हैं और गुस्से में आकर शवयात्रा में शामिल लोगों पर हमला कर देती हैं।
ऐसी घटनाएं अब आम हो चुकी हैं और कई बार लोग गंभीर रूप से घायल भी हो चुके हैं। बावजूद इसके, नगर पालिका और जिला प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि जब तक इन छत्तों को हटाने और सुरक्षा के उपाय नहीं किए जाते, तब तक वे अंतिम यात्रा में जाने से बचेंगे। यह एक सामाजिक और धार्मिक भावना से जुड़ा विषय है, जिसे गंभीरता से लेना प्रशासन की जिम्मेदारी है।
अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासन कब जागेगा और कब तक दमोह के लोगों को इस अनदेखे खतरे से निजात दिलाई जाएगी

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