उद्घाटन में तारीफें, और उसी मंच से विदाई! क्या यही है सिस्टम की सच्चाई?”
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डेंजर भारत न्यूज़ की विशेष रिपोर्ट
स्थान: सिंग्रामपुर, दमोह
समय: नया चौकी भवन – नया सवाल!
“उद्घाटन में तारीफें, और उसी मंच से विदाई!
क्या यही है सिस्टम की सच्चाई?”
सिंग्रामपुर में मध्यप्रदेश पुलिस की नई चौकी का भव्य शुभारंभ हुआ। उद्घाटन किया प्रदेश सरकार के मंत्री श्री धर्मेन्द्र सिंह लोधी ने। मंच पर तालियाँ बजीं, फूल बरसे… और चौकी प्रभारी आलोक तिरपुड़े जी के कार्यों की दिल खोलकर तारीफ हुई।

मंत्री जी ने कहा – “आलोक जी ने संयम से कार्य किया, अपराधियों पर कसा शिकंजा, क्षेत्र में कानून व्यवस्था सुधारी…”
पर अब सवाल ये है –
“जिस अफसर ने इतना अच्छा काम किया, उसे इस नई चौकी में टिकने तक नहीं दिया गया?”

पुलिस अधीक्षक श्रुतिकीर्ति सोमवंशी ने भी मंच से सराहना की –
“आलोक जी ने आम नागरिक और पुलिस के बीच की दूरी कम की है…”
तो फिर चुपचाप विदाई की वजह क्या है?
क्या यह तबादला एक रूटीन प्रक्रिया है या फिर किसी अंदरूनी दबाव का नतीजा?
डेंजर भारत न्यूज़ पूछता है –
“जब तारीफ इतनी ज़बरदस्त थी, तो ट्रांसफर इतनी जल्दी क्यों?”
कहीं चौकी का उद्घाटन एक बहाना तो नहीं था, असली मकसद विदाई का मंच सजाना?
आम जनता जानना चाहती है कि
“जब अच्छे अफसरों को जाने दिया जाएगा, तो फिर सुधार की उम्मीद किससे?”
डेंजर भारत न्यूज़ का सवाल साफ़ है –
“क्या तारीफ करने का मतलब सिर्फ विदाई की औपचारिकता भर रह गया है?”
हम सवाल पूछते रहेंगे…
क्योंकि हम हैं डेंजर भारत न्यूज़ — जहाँ डर सत्ता को लगता है, जनता को नहीं!
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