बरसात की मार से गिरी जिला जेल के सामने की दीवार — दमोह की जर्जर सरकारी इमारतों पर फिर उठे सवाल।डेंजर भारत प्रमुख तनुज पाराशर
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बरसात की मार से गिरी जिला जेल के सामने की दीवार — दमोह की जर्जर सरकारी इमारतों पर फिर उठे सवाल।डेंजर भारत प्रमुख तनुज पाराशर
दमोह।
मानसून की सक्रियता ने एक बार फिर दमोह नगर की वर्षों पुरानी और जर्जर हो चुकी सरकारी इमारतों की पोल खोल कर रख दी है। बीते कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश के चलते जिले में कई जगह जलभराव, नालियों की गंदगी और सड़कों की खस्ता हालत के साथ-साथ अब सरकारी भवन भी जवाब देने लगे हैं।

ताजा मामला दमोह जिला जेल के सामने बने पुराने पुलिस कंट्रोल रूम परिसर का है, जिसकी एक बड़ी बाउंड्री वॉल तेज बारिश के चलते भरभराकर गिर गई। गनीमत रही कि दीवार गिरने के समय वहां कोई कर्मचारी या राहगीर मौजूद नहीं था, वरना बड़ी अनहोनी से इनकार नहीं किया जा सकता था।

ब्रिटिश कालीन इमारत, जर्जर हालात में जारी सरकारी दफ्तर
जिस कंट्रोल रूम की दीवार गिरी है, वह ब्रिटिश कालीन प्रतीत होती है। वर्षों पुरानी यह इमारत अब अपनी उम्र पूरी कर चुकी है। कई जगहों से इसकी दीवारें दरक चुकी हैं, छतें कमजोर हो गई हैं, फिर भी इसी इमारत में पुलिस विभाग के कई कार्यालय आज भी संचालित हो रहे हैं।

हालांकि भारी बारिश और दीवार गिरने की घटना के बाद पुलिस विभाग ने मुख्य कंट्रोल रूम को नई बिल्डिंग में स्थानांतरित कर दिया है, लेकिन बाकी कार्यालय अभी भी उसी पुराने भवन में कार्यरत हैं। इससे न सिर्फ सरकारी दस्तावेजों को खतरा है, बल्कि उन पुलिसकर्मियों की जान को भी गंभीर जोखिम है जो हर रोज़ वहां ड्यूटी निभा रहे हैं।

सरकारी इमारतें – संरक्षण की आस में
दमोह नगर में कई सरकारी इमारतें आज भी कांग्रेस शासनकाल या अंग्रेज़ी हुकूमत के समय की बनी हुई हैं। इनकी मरम्मत या नए भवनों के निर्माण की मांग सालों से होती आई है, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है।

जब मोदी सरकार ने गरीबों को पक्के मकान देकर उन्हें बारिश जैसी आपदाओं से बचाने का काम किया, तब इन जर्जर सरकारी इमारतों पर ध्यान देने की ज़रूरत और अधिक बढ़ गई है। क्योंकि गरीबों की तरह ही अब सरकारी कर्मचारी भी बारिश के समय भवन ढहने के डर से काम करने को मजबूर हैं।

स्कूलों, थानों, और पंचायत भवनों की स्थिति भी चिंताजनक
यह केवल पुलिस कंट्रोल रूम तक सीमित मामला नहीं है। जिले में कई शासकीय स्कूलों, ग्राम पंचायत कार्यालयों, और स्वास्थ्य केंद्रों की हालत भी चिंताजनक है।
बीते कुछ हफ्तों में जिले के अलग-अलग इलाकों में स्कूलों की छत गिरने, दीवारों के दरकने और पानी भराव की घटनाएं सामने आ चुकी हैं।इन हालातों में बच्चों की शिक्षा और लोगों की स्वास्थ्य सुविधाएं भी खतरे में पड़ गई हैं। अगर समय रहते प्रशासन ने कदम नहीं उठाया, तो भविष्य में कोई बड़ी दुर्घटना किसी जिम्मेदार अधिकारी के सिर का ताज बन सकती है।

प्रशासन कब जागेगा?
प्रशासनिक तौर पर हर साल मानसून से पहले भवनों की जांच, रिपोर्ट और मरम्मत के लिए करोड़ों रुपये के बजट स्वीकृत होते हैं, लेकिन धरातल पर नतीजे नगण्य ही दिखते हैं। इसीलिए अब समय आ गया है कि:
जर्जर भवनों की त्वरित सूची बनाई जाए
कार्यरत सरकारी दफ्तरों को सुरक्षित भवनों में शिफ्ट किया जाए
नए भवन निर्माण के लिए योजनाबद्ध कार्य हो
मानसून से पहले ही सभी सरकारी इमारतों की सेफ्टी ऑडिट कराई जाए
डेंजर भारत न्यूज़ की अपील
डेंजर भारत न्यूज़ प्रशासन से अपील करता है कि वह इस पूरे मामले को गंभीरता से लेकर तत्काल कार्रवाई करे।
पुलिस विभाग के जिन कार्यालयों का संचालन अभी भी उस जर्जर भवन में हो रहा है, उन्हें तत्काल किसी वैकल्पिक स्थान पर स्थानांतरित किया जाए।साथ ही भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों, इसके लिए नीति स्तर पर निर्णय लेकर जिम्मेदारी तय की जाए।जब तक प्रशासन संवेदनशील नहीं होगा, तब तक सिस्टम सुधर नहीं सकता — और तब तक हर बरसात एक नई दुर्घटना का कारण बनती रहेगी।रिपोर्ट: डेंजर भारत न्यूज़, दमोह
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