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दमोह स्टेशन पर खुले में रखा यूरिया बरसात में भीगा  सरकारी लापरवाही से किसानों को फिर निराशा।

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दमोह स्टेशन पर खुले में रखा यूरिया बरसात में भीगा  सरकारी लापरवाही से किसानों को फिर निराशा।

दमोह। जिले में किसानों को सब्सिडी पर मिलने वाला यूरिया एक बार फिर सरकारी लापरवाही की भेंट चढ़ गया। दमोह रेलवे स्टेशन पर कल रात ट्रेन से आई यूरिया की बोरियां खुले में पड़ी रहीं, जिन्हें बरसात के पानी से बचाने का कोई इंतजाम नहीं किया गया। नतीजतन, भारी बारिश में यूरिया की बोरियां भीग गईं और उनकी गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो गए।

यह वही यूरिया है जिसे पिछले सप्ताह जबेरा विधानसभा क्षेत्र के तेंदूखेड़ा में हुई यूरिया किल्लत के बाद तत्काल मंगाने का निर्णय जिला प्रशासन ने लिया था। उस समय सैकड़ों किसान 5 घंटे तक चक्का जाम कर बैठे थे और प्रशासन ने आश्वासन दिया था कि जल्द से जल्द पर्याप्त यूरिया उपलब्ध कराया जाएगा। इसी के तहत कल रात रेलवे रेक से बड़ी मात्रा में यूरिया दमोह स्टेशन पहुंचा था।

लेकिन, जिला विपणन संघ और संबंधित विभागों की लापरवाही के चलते इसे समय रहते स्टेशन से नहीं उठाया गया, न ही बारिश से बचाने के लिए कोई कवर या सुरक्षित भंडारण किया गया।


यह यूरिया विपणन संघ (Markfed) के माध्यम से सहकारी समितियों को भेजा जाना था।

सब्सिडी दर: सरकार किसानों को प्रति बोरी (45 किलो) लगभग ₹266 की सब्सिडी देती है।

आपूर्ति स्रोत: यूरिया IFFCO / NFL के माध्यम से रेलवे रेक द्वारा भेजा गया था।

प्रभाव: भीगने के बाद यूरिया की नाइट्रोजन प्रतिशतता घट सकती है और यह कठोर होकर खेतों में घुलने में देरी करेगा, जिससे फसल उत्पादन प्रभावित होगा।

किसानों का आरोप है कि यह प्रशासनिक उदासीनता है — जब यूरिया की मांग और किल्लत पहले से है, तो समय पर उठाव और सुरक्षित भंडारण प्राथमिकता होनी चाहिए थी।

किसानों की मांग

भीगा हुआ यूरिया किसानों को न दिया जाए।

जिम्मेदार कर्मचारियों पर कार्रवाई हो।

गुणवत्तापूर्ण और सूखा यूरिया तत्काल उपलब्ध कराया जाए।इस घटना ने एक बार फिर जिले में खाद वितरण व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं, और किसान प्रशासन से ठोस कदम उठाने की अपेक्षा कर रहे हैं।

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