कलेक्टर के आदेशों को ठेंगा दिखा रहे खाद्य अधिकारी, 10 क्विंटल मिलावटी खोवा जप्त जनता की सेहत से खिलवाड़ — खाद्य अधिकारी की मनमानी पर फिर उठे सवाल!
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शरद पूर्णिमा पर भी खाद्य विभाग की लापरवाही उजागर, मिलावटखोरों ने मचाई लूट
कलेक्टर के आदेशों को ठेंगा दिखा रहे खाद्य अधिकारी, 10 क्विंटल मिलावटी खोवा जप्त जनता की सेहत से खिलवाड़ — खाद्य अधिकारी की मनमानी पर फिर उठे सवाल!
धर्म भी बना धंधा! शरद पूर्णिमा पर खुलेआम बिका मिलावटी खोवा, प्रशासन मौन
मिलावटखोरों पर मेहरबान खाद्य औषधि प्रशासन, एसडीएम को फिर दरकिनार कर की कार्रवाई

मिलावटखोरों पर मेहरबान खाद्य औषधि प्रशासन!
कलेक्टर के आदेशों के बावजूद शरद पूर्णिमा पर नहीं हुई बड़ी कार्रवाई, खुली लापरवाही की पोल
दमोह। जिले में खाद्य एवं औषधि प्रशासन की कार्यप्रणाली एक बार फिर सवालों के घेरे में है। कलेक्टर दमोह द्वारा बार-बार निर्देश देने के बावजूद वरिष्ठ खाद्य सुरक्षा अधिकारी राकेश अहिरवार ने शरद पूर्णिमा जैसे पवित्र त्योहार पर भी मिलावटखोरी रोकने के लिए कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की।
हर साल की तरह इस वर्ष भी शरद पूर्णिमा के पर्व पर मिलावटी खोवा बाजारों में धड़ल्ले से बिकता रहा। धार्मिक आस्था के इस पर्व को भी मिलावटखोरों ने मुनाफे का धंधा बना डाला। भगवती मानव कल्याण संगठन के सदस्यों ने सिटी कोतवाली पुलिस को सूचना दी कि दमोह में बड़ी मात्रा में मिलावटी खोवा बेचा जा रहा है।

सूचना पर त्वरित कार्रवाई करते हुए कोतवाली टीआई मनीष कुमार और आरक्षक जितेंद्र मिश्रा की टीम ने बस स्टैंड के पास सरस्वती स्कूल के सामने टीकमगढ़ से आ रही बस को रोका। तलाशी में करीब 10 क्विंटल मिलावटी खोवा बोरियों सहित जब्त किया गया। बताया जा रहा है कि यह खोवा ग्वालियर और झांसी से लाया गया था। खाद्य सुरक्षा विभाग ने सैंपल लेकर जांच शुरू की है।

कलेक्टर के आदेशों की फिर अनदेखी
सूत्रों के मुताबिक, कलेक्टर दमोह ने पहले ही खाद्य सुरक्षा अधिकारी को आदेश दिए थे कि बड़ी जांच कार्रवाई अनुविभागीय अधिकारी (एसडीएम) की मौजूदगी में की जाए, ताकि पारदर्शिता बनी रहे। बावजूद इसके, वरिष्ठ खाद्य सुरक्षा अधिकारी राकेश अहिरवार ने एक बार फिर एसडीएम को शामिल किए बिना कार्यवाही की, जिससे पूरे विभाग की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं।
धार्मिक पर्व भी नहीं छोड़ रहे मिलावटखोर

शरद पूर्णिमा पर जहां लोग श्रद्धा और भक्ति से खीर-खोवे का सेवन करते हैं, वहीं मिलावटखोर खुलेआम नकली दूध और खोवा बेचते रहे। जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही ने इस बार भी मिलावटखोरों को खुली छूट दे दी। यदि जनता बीमार पड़ती या कोई बड़ा हादसा होता, तो इसकी जिम्मेदारी आखिर कौन लेता?
‘तानाशाही’ रवैया बरकरार

खाद्य विभाग के मुखिया राकेश अहिरवार के खिलाफ पहले भी नियमों की अनदेखी, मनमानी और कलेक्टर के आदेशों को दरकिनार करने के आरोप लग चुके हैं। जिला अस्पताल की बिना पंजीयन वाली कैंटीन के मामले में भी इसी तरह की गड़बड़ियां उजागर हुई थीं। अब शरद पूर्णिमा के मौके पर हुई ढीली कार्यवाही ने साफ कर दिया है कि विभाग के अंदर जवाबदेही नाम की कोई चीज नहीं बची है।
अब देखना यह है कि क्या जिला प्रशासन इस बार भी खाद्य औषधि विभाग की लापरवाही पर चुप रहेगा,
या फिर जनता के स्वास्थ्य और धार्मिक आस्था से खिलवाड़ करने वालों पर सख्त कार्रवाई करेगा।
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