दमोह में अपराध बेलगाम, कानून व्यवस्था बेकाबू – 17 वर्षीय नाबालिग की हत्या से सहमा शहर हर दिन चाकूबाजी की घटनाओं से सवालों के घेरे में दमोह पुलिस, आखिर कब रुकेगा यह खूनी खेल?
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दमोह में अपराध बेलगाम, कानून व्यवस्था बेकाबू – 17 वर्षीय नाबालिग की हत्या से सहमा शहर
हर दिन चाकूबाजी की घटनाओं से सवालों के घेरे में दमोह पुलिस, आखिर कब रुकेगा यह खूनी खेल?
दमोह। शहर में अपराधियों के हौसले इतने बुलंद हो चुके हैं कि अब उन्हें पुलिस का कोई भय नहीं रह गया है। हर दिन चाकूबाजी और हमलों की खबरें सामने आ रही हैं, जिससे साफ है कि दमोह में कानून व्यवस्था पूरी तरह चरमरा चुकी है। पुलिस प्रशासन केवल बयानबाजी तक सीमित रह गया है जबकि अपराधी खुलेआम घूम रहे हैं।
बीती रात शहर में एक हृदयविदारक वारदात ने पूरे दमोह को दहला दिया। 17 वर्षीय सुमित जैन, जो इलाके में गौसेवा कार्यों से जुड़ा हुआ था, की चाकू मारकर बेरहमी से हत्या कर दी गई। घटना के बाद पूरे शहर में आक्रोश और दहशत का माहौल है।

जानकारी के अनुसार, सुमित अपने साथियों के साथ किल्लाई नाका की ओर जा रहा था, तभी रास्ते में तीन युवकों ने उन्हें रोक लिया। मामूली कहासुनी के बाद आरोपियों ने सुमित और उसके साथी शिवा चौरसिया पर चाकू से हमला कर दिया। गंभीर हालत में सुमित को जिला अस्पताल लाया गया, जहां से जबलपुर रेफर किया गया, लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई।

घटना के बाद देर रात शव के पहुंचते ही अस्पताल परिसर में बड़ी संख्या में लोग एकत्र हो गए। भीड़ में आक्रोश इतना था कि माहौल तनावपूर्ण हो गया। लोगों का कहना था कि अगर पुलिस समय रहते कार्रवाई करती और शहर में गश्त बढ़ाई जाती तो ऐसी वारदातें नहीं होतीं।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि दमोह पुलिस केवल औपचारिक कार्रवाई में व्यस्त रहती है। चाकूबाजी और अवैध शराबखोरी जैसी घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, मगर पुलिस की कार्यप्रणाली ढुलमुल बनी हुई है। हालात यह हैं कि शहर में अब आम लोग भी खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
घटना की गंभीरता को देखते हुए सीएसपी एच.आर. पांडे और टीआई मनीष कुमार ने मौके पर पहुंचकर जांच शुरू की है। पुलिस ने तीन आरोपियों को हिरासत में लिया है जबकि चौथा आरोपी अब भी फरार है।

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि दमोह पुलिस तभी सक्रिय होती है जब कोई बड़ी घटना घट जाती है। सवाल यह है कि आखिर पुलिस की गश्त और इंटेलिजेंस तंत्र कहां था जब शहर में खुलेआम चाकूबाजी हो रही थी?
दमोह में पिछले कुछ दिनों से लगातार अपराधों की बढ़ती घटनाओं ने पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जनता अब यह पूछ रही है कि आखिर कब तक प्रशासन “एक्शन की जगह रिएक्शन” की नीति पर काम करता रहेगा?
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