श्री आनंदकंद दयालु आश्रम सवा लाख मानस पाठ दमोह श्री वेदांताचार्य श्री श्री भगवान की न्यूज़ बनारस से दमोह के लिए!
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श्री आनंदकंद दयालु आश्रम सवा लाख मानस पाठ दमोह श्री वेदांताचार्य श्री श्री भगवान की न्यूज़ बनारस से दमोह के लिए!
*शिव महापुराण ही विश्वनाथ का अक्षरकार शरीर : श्री भगवान वेदांताचार्य रसिक*
शिव कथामृत के अवसर पर साकेत पीठाधीश्वर श्रीमहंत श्रीभगवान वेदांताचार्य जी ने विशेष व्याख्यान में शिव की महिमा का गुणगान करते हुए काशी तीर्थ में सत्संग का सैद्धांतिक पक्ष बताया ।

वेद की व्याख्या में *शिवो वेद : वेदों शिव:* की पूर्व पैठीका अठारह महापुराण में सम्लंकृत की गई है, जिसमें शिव महापुराण चतुर्थ स्थान पर है । शिव के चरित्र का लीला माधुर्य जिसकी संज्ञा पौराणिक संस्कृति में ही देखने को मिलती है भारतीय अध्यात्म सूत्रात्मक है। कथाए संस्कृति को मानव की एक ऐसी देन हैं, जो इतिहास संजोकर सत्य को स्थापित करती हैं। यह बात अलौकिक है, जिसमें शिव केवल वर्णों में नहीं, सूक्तों में नहीं, ऋचाओं में नहीं , वेद में नहीं, वेदना की पुकार में समाहित हो चले, भक्ति का निनाद जहां डमरू से बोला तो भक्तों का मन फिर कभी नहीं डोला, क्योंकि यही है भोला , जिसके हाथ में है भाला और जटा मुंड माला

यद्यपि स्वरूप का दर्पण अद्भुत है वैभव की पराकाष्ठा से ऊपर यदि कोई है तो एक नाम देवो का देव महादेव बस यही से प्रारंभ हुआ श्रुति बोधक ज्ञान का , जो समाहित होता है तो संहार और प्रकाशित होता है तो सृष्टि , डमरू के स्वर ने 14 बार निनाद किया, और शब्द को भी आकार आ गया, फिर सृष्टि को कैसे नहीं आता । ब्रह्मा विष्णु हैरान संसार बनाते हम पालते हम पर संहारक कैसे पालक और रचिता बन गया ।इसी ज्ञान की पराकाष्ठा को उजागर करता यह शिव महापुराण का अक्षराकार शरीर जिसे श्रवण कर तत्व बोध को प्राप्त किया जाता है ।

श्री श्रीभगवान वेदांताचार्य ने पुनः कहा पुराण आज के समय में जनमानस में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने का एकमात्र साधन है। यह हमारी सैद्धांतिक पृष्ठभूमि को मजबूत करता है।
सनातन परंपरा की अवधारणा एक दिव्या चेतना पुंज की अलौकिक शक्ति में समाहित है।
जिसमें त्रिदेवों का साकार स्वरूप स्वत: विद्यमान है, जो अपनी सहजता का दिग्दर्शन कराके संसार में ज्योतिर्लिंग विश्वनाथ के रूप में काशी की धरा पर स्थापित है । बही फलाहारी बाबा संत सेवा ट्रस्ट के महंत श्री राम दास त्यागी महाराज एवं उनके गुरु योगी राज श्री राम करण दास जी बाबा नित नूतन कथा का पूर्ण श्रवण गंभीरता से कर रहे है जिसमें आपार जन मानस भाग ले रहा है।
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