जिला प्रशासन और नगर पालिका द्वारा हॉस्पिटल को बचाकर और गरीबदास को 5000 रुपए की अर्थदंड से किया दंडित | डेंजर भारत प्रमुख तनुज पाराशर
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जिला मजिस्ट्रेट तरुण राठी निर्देश पर सतर्कता अभियान के अंतर्गत कोरोना महामारी के समय सतर्कता अभियान चलाया जा रहा है जिसमें कल बस स्टैंड चौराहे पर एक लघु व्यापारी जोकि चार्ट समोसा की दुकान लगाता है उसकी दुकान के पास ही में चाट के दोना पत्तल पाए जाने पर संतोष चोरसिया नामक व्यक्ति पर 500 रुपए का चालान किया गया
जबकि वह व्यक्ति ₹500 देने में संपन्न नहीं है उसे एक बार वार्निंग देकर भी छोड़ा जा सकता था अगली बार गलती पाय जाने पर जुर्माना कार्रवाई भी हो सकती थी
दूसरा मामला कोविड-19 संक्रमण केंद्र सुभाष कॉलोनी जहां पर हॉस्पिटल का डिस्पोज कचरा मरीजों की गंदगी वाला कचरा क्वॉरेंटाइन सेंटर जहां बनाया गया है उसी की दीवार के पास यह कचरा डाला गया
यूं तो यह कचरा अस्पताल की गंदगी यहां कई सालों से डाली जा रही है लेकिन महामारी के दौर में वार्ड वासियों ने इसका विरोध किया और शिकायत की तो मौके पर तहसीलदार बबीता राठोर पहुंची उन्होंने कार्यवाही की बात की और नगर पालिका के अधिकारियों को कहां की पता कर कार्रवाई करें नगर पालिका द्वारा की गई जांच मैं सीसीटीवी फुटेज में देखा गया गरीबदास फस गया और गरीब दास की शामत आ गई गरीबदास को ₹5000 अर्थदंड से दंडित किया गया
जबकि प्रशासन को भलीभांति मालूम है कि गरीब दास के यहां अस्पताल का कचरा कहां से आया ना ही गरीबदास की हॉस्पिटल है प्रशासन को गरीबदास से पूछना था की यह किस अस्पताल का कचरा है और उस अस्पताल पर एक लाख से ₹50000 का जुर्माना करना था क्योंकि अस्पताल बनवाते समय यह लोग ध्यान नहीं देते कि अस्पताल का कचरा कहां फेंके ना ही उसके फेंकने की कोई व्यवस्था इनके द्वारा की जाती है और गरीब दास को फंसा दिया जाता है प्रशासन भी गरीबदास पर केस बना देती है क्योंकि गरीबदास तो गरीब है कुछ कर नहीं सकता अस्पताल वालों को क्यों बचाया गया इस मामले में
अगर गरीबदास से पूछा जाता कि यह कचरा आप कहां से लाए हैं तो हो सकता है वहां कोई अवैध नर्सिंग होम या कोई झोलाछाप डॉक्टर की क्लीनिक चल रही है इसका पता लगता तो वहां पर फैलने वाले संक्रमण के बारे में भी पता लगाया जा सकता था सिविल वार्ड 6 में मिली महिला जो संक्रमित हुई कहीं उसका संक्रमित होने की वजह कहीं यह कचरा तो नहीं अगर प्रशासन गरीबदास की बात सुनता तो ऐसे कई सवालों के जवाब मिल सकते थे
गरीबदास को अर्थदंड से दंडित करने की जगह अगर उस अस्पताल पर कार्रवाई की जाती तो जिले की सभी अस्पतालों को एक मैसेज दिया जा सकता था कि इस कोरोना संकटकाल में कोई भी गंदगी ना फैला सके
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