गरीब की आवाज बनकर नींद से जगाया अस्पताल के डॉक्टर और कर्मचारियों को उसी गरीब ने अपना काम बना कर पत्रकार को ही झुठलाया! डेंजर भारत प्रमुख तनुज पाराशर
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लोगों की मुसीबत और अन्याय के खिलाफ लड़ने वाले पत्रकारों को अगर कोई व्यक्ति अपना काम होने के बाद उसे झूठलादे तो ऐसे में गरीबों की मदद के लिए पत्रकार कभी भविष्य में काम आएंगे क्या !नेता हो या प्रशासनिक अधिकारी जब गरीब की कहीं भी सुनवाई नहीं होती तब वह पत्रकार के पास जाता है और पत्रकार उस गरीब की आवाज बनकर शासन प्रशासन को नींद से जगाने का काम करता है यह रिपोर्ट भी ऐसी ही नींद में सोए डॉक्टर और अस्पताल के कर्मचारियों की है जिन्हें नींद से तो जगा दिया लेकिन जिस गरीब की आवाज बना उसी व्यक्ति ने पत्रकार को ही नींद में सुलाने के लिए जिला प्रशासन से मिलकर अपना बयान जारी किया ऐसे में भविष्य में कौन पत्रकार होगा जो रात 12:00 बजे से सुबह 5:00 बजे तक जाकर काम करने वाले पत्रकार पर जब पीड़ित ही उंगली उठा दे तो पत्रकार की कहानी भी आपको बतानी जरूरी थी इसलिए इस खबर को जरूर पढ़ें!
कमियां उजागर ना करने के पैसे लेने वाले पत्रकार तो देखे है लेकिन यहां तो पैसे दे कर कमियां उजागर की गई* पत्रकार पर आरोप
₹500 दे कर जिला अस्पताल की लापरवाही उजागर करने के पत्रकार पर लगे आरोप जिला अस्पताल से वीडियो हुआ जारी
दमोह: जिला अस्पताल की कमियां उजागर करने के वाद पत्रकार पर लगे आरोप आपको बता दे बुधवार की देर रात पटेरा स्वास्थ केंद्र से जिला अस्पताल रिफर मरीज अस्पताल पहुचा जहा मरीज व परिजन जिला अस्पताल की ओपीडी में सुबह होने का इंतजार करता नजर आया परिजन ने बताया रात के 4 बजे से बैठे है ना कोई डॉक्टर आया है देखने ना ही कोई अस्पताल कर्मी आया है सिर्फ पर्ची काउंटर से पर्ची वस बनी है
देर रात जब हकीकत देखी तो जिला अस्पताल में डॉक्टर के साथ साथ सारा स्टॉप नींद में सोया था!
जिला अस्पताल की कमी उजागर कर खबर प्रकाशित होने पर जिला अस्पताल से एक वीडियो जारी होता है जिसमें डरा धमका कर पत्रकार पर आरोप लगाया गया कि ₹500 देकर बुलवाया गया था!
सवाल यह है अगर इलाज हो चुका था तो मरीज को ओपीडी से बार्ड में शिफ्ट क्यों नही किया 2 घण्टे से ज्यादा मरीज के साथ परिजन ओपीडी में क्यों बैठे रहे!
जिला अस्पताल में रात की ड्यूटी में डॉक्टर के साथ साथ स्टॉप सोता क्यों नजत आता है!
अगर अस्पताल प्रशासन मरीज का वीडियो जारी कर पत्रकार को झुठलाना चाहते हैं तो हमारे इन सवालों का भी जवाब दें और अब अस्पताल प्रशासन की नींद खोले बगैर शांत नहीं बैठेगा!
अगर जिला अस्पताल में पैसे दे कर खबर बनाए तो हजारों कमियां उजागर करने के लिए चाहिए होंगे लाखो रु!
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