तमाम उम्र गुजर जाती है एक घर को बनाने में और तुम तरस नहीं खाते बस्तियां जलाने में किसी शायर ने शायद यह शायरी इसी दिन के लिए कही होगी! डेंजर भारत प्रमुख तनुज पाराशर
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दमोह: मिडिल क्लास के लोगों के लिए चेतावनी भरी खबर मिडिल क्लास के लोगों के पास जितना इलाज के लिए पैसा होता है आज इतना पैसा तो खाली जबलपुर जाने के लिए एंबुलेंस ले रही हैं कोरोना काल में प्रशासन किस किस ओर ध्यान दें यह बात सोचने वाली है जिस भी व्यक्ति को जहां अपनी आय बढ़ाने का मौका मिल रहा है वह कोई भी व्यक्ति अपनी आय बढ़ाने से नहीं रुक रहा है चाहे खाद्य आपूर्ति यानी कि किराने की कोई भी सौदा हो आज वह दोगुने दामों पर मिल रही है और दमोह जिला अस्पताल और अन्य अस्पतालों को सप्लाई होने वाली ऑक्सीजन की हालत तो आप पिछले कुछ दिनों से समाचारों के माध्यम से जान ही चुके हैं! दमोह जिले के एक बांदकपुर के वरिष्ठ पत्रकार की पत्नी ऑक्सीजन के अभाव में स्वर्ग लोक सिधार गई जबकि जिले के कई पत्रकारों ने उन्हें ऑक्सीजन दिलाने के लिए भरसक प्रयास किया उसके बावजूद भी पत्रकार अपनी पत्नी को ऑक्सीजन तक मुहैया नहीं करा पाया जिले की स्थिति से आपको रूबरू कराने के लिए यह सब बातें आपको जानना जरूरी है! आज दमोह में सीटी स्कैन के लिए दमोह नगर के दमोह नगर में अपने मरीज को एंबुलेंस से ले जाने के लिए 1500 ₹ से ₹2000 लिए जा रहे हैं और भगवान ना करे अगर आप अपने मरीज को जिले से बाहर ले जाना चाहते हैं तो मिडिल क्लास के लोगों की जितनी जमा पूंजी होती है उतना खाली किराया वसूल कर रहे है दमोह की प्राइवेट एंबुलेंस वाले जबलपुर जाने का 25000 भोपाल जाने का 50000 तक ले रहे है जबकि जबलपुर जाने में पहले यही एंबुलेंस वाले 2000 से 2500 ₹लेते थे आज यह महामारी के दौर में लोगों की मजबूरी का फायदा उठा रहे हैं 2000 की जगह 20000 और 2500 की जगह 25000 तक वसूल कर रहे हैं जिला प्रशासन किस किस ओर ध्यान दे हर जगह अंधेर नगरी चौपट राजा जैसा हाल मचा हुआ है यह समाचार प्रशासन की आंख खोल देने के लिए काफी है अगर इस समाचार के बाद भी प्रशासन ने दमोह की प्राइवेट एंबुलेंस पर लगाम नहीं कसी तो आने वाला समय और भी भयानक होगा

जिला अस्पताल के बाहर 24 घंटे सड़क पर खड़ी रहने वाली एंबुलेंस जबलपुर आदि रेफर किए जाने वाले मरीजों के अलावा सीटी स्कैन जांच के लिए जाने वाले मरीजों पर अपनी गिद्ध दृष्टि जमाए रहते है। जिला अस्पताल और निजी अस्पतालों से सीटी स्कैन सेंटर तक मरीज को ले जाने के बदले में आधे किलोमीटर के 1500 से दो हजार रुपए ले रहे है। वही जबलपुर जाने का किराया 15000 से शुरू होता है। जबलपुर में एक अस्पताल मैं जगह नहीं मिलने पर दूसरी अस्पताल जाने में दो से चार हजार रुपए शुल्क और बढ़ जाता है। ऑक्सीजन सिलेंडर की सुविधा के नाम पर एंबुलेंस वालों के द्वारा वसूली जाने वाली अतिरिक्त राशि के बावजूद इस बात की कोई गारंटी नहीं रहती कि उनका सिलेंडर भरा ही होगा। इस तरह की लूट खसोट का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के साथ प्रमुख अखबार द्वारा यह खबर प्रकाशित की गई है इसके बावजूद प्रशासन एंबुलेंस वालों पर क्यों मेहरबान है यह बात आश्चर्य का विषय बना हुआ है।
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