कलेक्टर की गाइडलाइंस का नहीं किया गया पालन मधुमक्खियों ने कराया दमोह पुलिस से गाइडलाइंस का पालन।
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कलेक्टर की गाइडलाइंस का नहीं किया गया पालन मधुमक्खियों ने कराया दमोह पुलिस से गाइडलाइंस का पालन।
दमोह जिले में मनाई गई होली और होली दहन पर सभी ने खुलकर मनाया होली का महोत्सव कोरोना काल के चलते 2 वर्षों से नहीं खेल पाए थे दमोह के लोग होली इस बार सरकार के द्वारा लगाई गई वैक्सीन के कारण तीसरी लहर का खतरा टलने की वजह से लोगों में होली को लेकर काफी हर्षोल्लास देखते ही बना ओर लोगों के द्वारा होली मनाई गई।
होली के तीसरे दिन दमोह जिले की पुलिस व्यस्तता के कारण दमोह पुलिस त्यौहारों को एक दिन बाद ही मना पाती है यही वजह है कि होली के आज तीसरे दिन दमोह पुलिस द्वारा होली मिलन का कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें पहले सत्येंद्र सिंह द्वारा सिटी कोतवाली में जमकर अपने साथियों के साथ होली मिलन कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसके बाद सभी पुलिस कर्मियों के साथ सत्येंद्र सिंह डीजे बाजे की धुन पर नाचते हुए दमोह एसपी तेनीवार के बंगले पर पहुंचे जहां से पहले से तय कार्यक्रम के अनुसार
दमोह पुलिस के साथ-साथ सभी पत्रकारों को इनवाइट किया गया था एसपी बंगले पर दमोह टीआई सत्येंद्र सिंह द्वारा ले जाए गए डीजे और बाजे की धुन पर नाचते सिपाहियों को देख मधुमक्खियों ने अपना आपा खो दिया और मधुमक्खियों के झुंड ने कार्यक्रम में जमकर हमला किया जिसमें कई पत्रकार और कई पुलिसकर्मियों को मधुमक्खियों के डंक का शिकार होना पड़ा आपको बता दें कि दमोह कलेक्टर द्वारा पहले ही होली मिलन कार्यक्रम के अंतर्गत सख्त चेतावनी दी गई थी कि सभी त्योहार मनाएं लेकिन कोलाहल अधिनियम के अंतर्गत ही अपने कार्यक्रम मनाए आपके त्यौहार मनाने से किसी को दिक्कत ना हो लेकिन एमपी निवास पर कोलाहल अधिनियम का पालन नहीं किया गया यही वजह थी कि मधुमक्खियों ने सभी पुलिस वालों को बताया कि कोलाहल अधिनियम कितना जरूरी है
इसका पालन करना बहुत जरूरी है हमारे संवाददाता अजीत ठाकुर द्वारा मधुमक्खियों के हमले के बीच सिपाही और कई पुलिसकर्मियों से इंटरव्यू लेते देखे गए अपनी जान जोखिम में डालकर भी पत्रकारिता करना इसे ही कहते हैं जबकि जिस का इंटरव्यू ले रहे थे वह खुद भी कह रहे थे कि भी फिजूल की बातें मत करें और आप भी बचे और मुझे भी बचने दें कई पत्रकार अपनी शर्ट उतारकर घुमाते नजर आए तो कई छोले के पत्ते घुमाते नजर आए कई पुलिसकर्मी जमीन पर लेटे नजर आए तो कई पुलिसवाले कुर्सियां ही अपने सर पर लगाकर अपने आपको बचाव करते नजर आए अगर कोलाहल अधिनियम का पालन किया गया होता तो यह स्थिति सामने नहीं आती।
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