रविवार को दमोह में प्यासे रह गए लोग, नगर पालिका की लापरवाही उजागर नगर पालिका दमोह की जल सेवा व्यवस्था सवालों के घेरे में।
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रविवार को दमोह में प्यासे रह गए लोग, नगर पालिका की लापरवाही उजागर नगर पालिका दमोह की जल सेवा व्यवस्था सवालों के घेरे में।
दमोह, मध्यप्रदेश।
गर्मी के भीषण प्रकोप के चलते दमोह नगर पालिका ने प्रमुख चौराहों और बाजारों में प्याऊ की व्यवस्था की है। हालांकि, नगर में लगाए गए मटकों की संख्या बेहद कम है और उनमें भी पर्याप्त ठंडा पानी उपलब्ध नहीं हो पा रहा। प्रत्येक स्थान पर मात्र चार से पाँच मटके रखे गए हैं, जिनमें कुल पानी की मात्रा 50 लीटर से अधिक नहीं है।

नगर पालिका द्वारा जल वितरण के लिए आउटसोर्सिंग के माध्यम से कर्मचारियों की नियुक्ति की गई है, जिन्हें प्रति माह ₹8000 (लगभग ₹270 प्रतिदिन) वेतन दिया जा रहा है। इसके अलावा, जल आपूर्ति के लिए ट्रैक्टरों के माध्यम से टैंकरों से पानी पहुंचाया जा रहा है, जिससे डीजल का अतिरिक्त खर्च भी हो रहा है।

विशेष बात यह है कि दमोह में दो निजी कंपनियाँ 15 लीटर शुद्ध और ठंडा पानी मात्र ₹20 में बेच रही हैं। इस हिसाब से ₹100 में 50 लीटर बेहतर गुणवत्ता वाला पानी उपलब्ध हो सकता है। इसके बावजूद नगर पालिका प्रतिदिन हर प्याऊ पर लगभग ₹500 खर्च कर रही है, फिर भी लोगों को न तो पर्याप्त और न ही ठंडा पानी मिल पा रहा है।

रविवार को सारी प्याऊ रहीं बंद
रविवार को दमोह शहर में साप्ताहिक हाट बाजार लगता है, जिसमें आसपास के गांवों से बड़ी संख्या में मजदूर और ग्रामीण खरीदी करने आते हैं। भीषण गर्मी के बीच रविवार को बाजार में पानी की सबसे ज्यादा आवश्यकता थी। लेकिन हैरानी की बात यह रही कि पूरे शहर में मात्र एक बस स्टैंड की प्याऊ खुली थी नगर पालिका द्वारा लगाए गए अधिकांश प्याऊ बंद मिले।

जांच में सामने आया कि नगर पालिका के मस्टर कर्मचारी रविवार को छुट्टी मना रहे थे, जिससे बाजार में आए हजारों लोग पानी के लिए तरसते रहे। अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या नगर पालिका मानती है कि रविवार को किसी को प्यास नहीं लगती?

प्याऊ घोटाले की आशंका
नगर पालिका की इस लापरवाही और खर्च में भारी असंगति के चलते लोगों ने अब ‘प्याऊ घोटाले’ की भी आशंका जताई है। स्थानीय लोगों ने मांग की है कि इस पूरी व्यवस्था की निष्पक्ष जांच करवाई जाए कि प्याऊ पर कितना वास्तविक खर्च हुआ और जनता को कितनी सुविधा मिली।अब देखना यह होगा कि दमोह कलेक्टर और नगर पालिका प्रशासन इस मामले में क्या संज्ञान लेते हैं, या फिर हर रविवार दमोह के बाजारों में लोग प्यास से जूझते रहेंगे।
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