दमोह में शराब दुकानों पर नियमों की उड़ रही धज्जियां, बिना बिल और ओवररेट पर बेची जा रही शराब। डेंजर भारत प्रमुख तनुज पाराशर
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दमोह में शराब दुकानों पर नियमों की उड़ रही धज्जियां, बिना बिल और ओवररेट पर बेची जा रही शराब। डेंजर भारत प्रमुख तनुज पाराशर
दमोह (मध्यप्रदेश)।
प्रदेश में वर्ष 2021-22 की आबकारी नीति के अंतर्गत मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा एक अहम नियम लागू किया गया था, जिसके अनुसार सभी देशी और अंग्रेजी शराब दुकानों पर शराब खरीदने वालों को बिल देना अनिवार्य किया गया है। इसका उद्देश्य यह था कि यदि शराब के सेवन से कोई जनहानि होती है, तो उपभोक्ता ब्लेम और क्लेम कर सके। लेकिन दमोह जिले में इस नियम की खुलेआम अवहेलना हो रही है।

सूत्रों के अनुसार, दमोह जिले की लगभग सभी सरकारी लाइसेंसी शराब दुकानों पर शराब बिना बिल के बेची जा रही है। खासतौर पर हटा और जबेरा क्षेत्र में उपभोक्ताओं से शराब की बोतलें एमआरपी से अधिक कीमतों पर बेची जा रही हैं, जो कि सीधी तौर पर गैरकानूनी है। उपभोक्ताओं द्वारा जब बिल मांगा जाता है, तो जवाब में “बिल घर पहुंचा देंगे” जैसी बातें कही जा रही हैं, जो इस गंभीर अनियमितता को दर्शाता है।

राज्य सरकार द्वारा हर शराब की बोतल और पाव पर एमएसपी और एमआरपी स्पष्ट रूप से अंकित की जाती है, ताकि उपभोक्ता अधिक भुगतान से बच सकें। बावजूद इसके, 340 रुपये एमआरपी वाले पाव को 360 रुपये में बेचा जा रहा है। जब ग्राहक इस पर आपत्ति जताते हैं, तो ठेकेदार के कर्मचारी उन्हें डराने-धमकाने लगते हैं।

प्रशासन को इस ओर अविलंब ध्यान देना चाहिए, क्योंकि यह न केवल शासन की नीति का उल्लंघन है, बल्कि आम उपभोक्ताओं के अधिकारों का हनन भी है। यदि इस मनमानी पर जल्द अंकुश नहीं लगाया गया, तो किसी दिन ग्राहक और ठेकेदार कर्मचारियों के बीच कोई गंभीर घटना भी घट सकती है। हटा और जबेरा से ऐसी कई घटनाओं के वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जिनमें ग्राहकों और शराब कर्मचारियों के बीच बहस साफ देखी जा सकती है।प्रशासन यदि समय रहते कदम नहीं उठाता है, तो इसका सीधा दायित्व शासन पर होगा।
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