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दमोह कलेक्ट्रेट में फर्जी दस्तावेज़ों से नौकरी: कंप्यूटर ऑपरेटर पर लगा गंभीर आरोप, भाई ने ही किया खुलासा डेंजर भारत न्यूज़ पोर्टल की विशेष रिपोर्ट

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दमोह कलेक्ट्रेट में फर्जी दस्तावेज़ों से नौकरी: कंप्यूटर ऑपरेटर पर लगा गंभीर आरोप, भाई ने ही किया खुलासा
डेंजर भारत न्यूज़ पोर्टल की विशेष रिपोर्ट

दमोह, मध्य प्रदेश – फर्जी डिग्री पर नौकरी कर रहे डॉक्टर के खुलासे के बाद अब दमोह जिला कलेक्ट्रेट में एक और बड़ा मामला सामने आया है। आरोप है कि कलेक्ट्रेट भवन में कार्यरत एक कंप्यूटर ऑपरेटर ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी हासिल की है।

शिकायतकर्ता अरविंद मुड़ा ने आरोप लगाया है कि उनका चचेरा भाई स्वयं को ‘मुंडा’ जनजाति का बताते हुए आदिवासी आरक्षण का लाभ ले रहा है, जबकि वह वास्तव में ‘मुड़ा’ जाति से संबंध रखता है। अरविंद ने इस संबंध में बाकायदा लिखित शिकायत दी है, जो अब जिले के प्रमुख समाचार पत्रों में सुर्खियाँ बन चुकी है।

मामला यहीं नहीं रुका। आरोप है कि उक्त युवक की बहन भी जबलपुर के पाटन क्षेत्र में फर्जी दस्तावेजों के दम पर नगर परिषद की सीएमओ बनी हुई है, जबकि दूसरा भाई खमरिया फैक्ट्री में कार्यरत है। आरोप है कि पूरा परिवार फर्जी जाति प्रमाण पत्रों के जरिए शासकीय सेवाओं में नियुक्ति प्राप्त कर चुका है।

हालांकि शिकायत दर्ज होने के बावजूद जिला प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। इससे प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं।यह कोई पहला मामला नहीं है जब दमोह जिले में फर्जी दस्तावेजों के जरिए सरकारी नौकरी हासिल करने का आरोप लगा हो। इससे पहले भी फर्जी डिग्री वाले डॉक्टर और कर्मचारियों के मामले सामने आ चुके हैं।प्रशासन की निष्क्रियता के चलते फर्जी दस्तावेजों का खेल बेधड़क जारी है, और योग्य उम्मीदवारों का हक मारा जा रहा है।

क्या जिला प्रशासन अब भी सिर्फ “जांच जारी है” कहकर अपना पल्ला झाड़ेगा, या जल्द कोई ठोस कार्रवाई होगी — यह देखना बाकी है।

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