क्या कलेक्टर की फटकार अब महज़ दिखावा बन गई है? दमोह के विपणन अधिकारी पर दोबारा लगे गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप।
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क्या कलेक्टर की फटकार अब महज़ दिखावा बन गई है?
दमोह के विपणन अधिकारी पर दोबारा लगे गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप।
ईमानदार सर्वेयर को किया जा रहा टारगेट, अमानक उपज खरीद का बड़ा खेल जारी।

दमोह।
दमोह जिले में प्रशासनिक आदेश और कलेक्टर की फटकारें अब बेअसर साबित हो रही हैं। जिला विपणन अधिकारी इंद्रपाल सिंह राजपूत एक बार फिर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के घेरे में हैं। खाद वितरण में गड़बड़ियों पर कलेक्टर द्वारा पहले ही फटकार झेल चुके राजपूत अब चना, मसूर और सरसों की सरकारी खरीद में अमानक उपज को पास कराने का दबाव बना रहे हैं। लेकिन इस बार उनका टकराव एक ईमानदार सर्वेयर से हो गया है, जो अब प्रताड़ना का शिकार हो रहा है।

गोविंद का ‘अपराध’: ईमानदारी!
ईमानदारी से काम करने की कीमत चुका रहा एक अधिकारी
तेंदूखेड़ा सहकारी समिति के अंतर्गत कार्यरत सर्वेयर गोविंद अहिरवार ने जब गोदाम में अमानक मसूर और सरसों रखने से इनकार किया, तो उस पर समिति प्रबंधक और विपणन अधिकारी ने दबाव बनाना शुरू कर दिया। कंप्यूटर ऑपरेटर के ज़रिए उस पर झूठे आरोप लगाने से लेकर, एजेंसी से उसका ट्रांसफर कराने तक की साजिश रची जा रही है।

गोविंद ने जनसुनवाई में प्रस्तुत आवेदन में साफ तौर पर कहा कि समिति द्वारा अमानक उपज को जबरन गोदाम में स्टॉक में जोड़ा जा रहा है। किसानों के घर से भर कर आई बोरियां सीधे गोदाम में रखवाई जा रही हैं। जांच से रोकने पर गोविंद को धमकाया जा रहा है — “या तो चुप रहो या पोस्ट से हटने को तैयार रहो।”

फिर सुर्खियों में इंद्रपाल सिंह
खाद घोटाले में पहले ही झेल चुके हैं कलेक्टर की डांट
18 जुलाई 2024 को पथरिया में खाद वितरण की शिकायत पर जब कलेक्टर स्वयं गोदाम पहुंचे थे, तो उन्होंने पाया कि वेयरहाउस में भरपूर स्टॉक के बावजूद किसानों को खाद नहीं दिया जा रहा था। डायरी में दो बोरी की एंट्री, जबकि एक ही दी जा रही थी। कलेक्टर ने इंद्रपाल सिंह को जमकर फटकार लगाई थी — “क्या आप शासन से ऊपर हैं?” लेकिन अफसोस, उस फटकार का कोई असर नहीं हुआ।

धान खरीदी में भी घोटाला
समिति प्रबंधक डालचंद साहू पहले भी रहा है विवादों में
यह पहला मौका नहीं है जब तेंदूखेड़ा सहकारी समिति सवालों के घेरे में है। पूर्व में भी समिति प्रबंधक डालचंद साहू ने धान खरीदी के दौरान 193 क्विंटल अधिक धान लिया था, जिसकी पुष्टि रिपोर्टों में हो चुकी है। बावजूद इसके, साहू पर कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई। ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है — क्या भ्रष्टों को बचाने की व्यवस्था बन गई है?

प्रशासन की चुप्पी, भ्रष्टाचारियों की दबंगई
जब ईमानदार अधिकारी ही सस्पेंड होने लगे, तो कौन करेगा शिकायत?
दमोह जिले में अब हालात ऐसे हो गए हैं कि जो अधिकारी ईमानदारी से काम करता है, वही टारगेट होता है। ऊपर से नीचे तक भ्रष्ट तंत्र एकजुट होकर उसे हटाने में लग जाता है। गोविंद अहिरवार की लड़ाई सिर्फ एक सर्वेयर की नहीं, बल्कि उस सिस्टम के खिलाफ है जो भ्रष्टाचारियों को बचाता और ईमानदारों को दंडित करता है।

क्या अब भी कलेक्टर सिर्फ फटकार से काम चलाएंगे?
या होगा इस बार कोई ठोस एक्शन?
प्रशासनिक सख्ती तब तक मज़ाक बनती रहेगी, जब तक भ्रष्टाचारियों पर कार्यवाही नहीं होती। गोविंद जैसे ईमानदार अधिकारी अगर डरे और हटे, तो आने वाली फसलें सिर्फ भ्रष्टाचार की फसल बनकर रह जाएंगी।
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