कल डेंजर भारत ने उठाया था पंडित दीनदयाल रसोई का मुद्दा। कल ही कैबिनेट में चुनावी सौगात में शामिल हुआ दीनदयाल रसोई का मुद्दा। अब देखना होगा लोग दीनदयाल रसोई में जाते हैं या लंगड़ा होटल में
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कल डेंजर भारत ने उठाया था पंडित दीनदयाल रसोई का मुद्दा। कल ही कैबिनेट में चुनावी सौगात में शामिल हुआ दीनदयाल रसोई का मुद्दा। अब देखना होगा लोग दीनदयाल रसोई में जाते हैं या लंगड़ा होटल में
मध्यप्रदेश में गरीब लोगों को भरपेट भोजन की व्यवस्था कम दामों में देने की शुरुआत पहली बार 2017 में की गई थी जिसे पूरे प्रदेश में दीनदयाल रसोई के नाम से शुरू किया गया था।
तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जय ललिता का निधन 2016 में हुआ था जिनकी मृत्यु के बाद तमिलनाडु की महत्वपूर्ण योजना अम्मा की रसोई संपूर्ण भारत मे काफी मशहूर हुई और उस योजना से गरीबों के साथ निम्न क्लास के लोगों को भी उस योजना से काफी लाभ हुआ तो वही उस योजना के चलते गरीबों में और निम्न क्लास के लोगों में अम्मा की रसोई में खाना खाने वालों मैं तमिलनाडु की मुख्यमंत्री की छवि एक देवी के तौर पर देखी जाने लगी थी। यही वजह थी कि मुख्यमंत्री जयललिता के निधन के बाद उनकी इस योजना की जहां पूरे राजनीतिक दलों ने तारीफ की तो कई राजनीतिक दलों ने उस योजना को अपने प्रदेश में भी लागू किया।
ऐसा ही मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार द्वारा गरीबों को कम पैसे में भरपेट भोजन की व्यवस्था 2017 में शुरू की गई जिस योजना को मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के स्वच्छ छवि एवं कर्मठ कार्यकर्ता और निस्वार्थ सेवा भाव से गरीबों की सेवा करने वाले पंडित दीनदयाल के नाम पर संपूर्ण मध्यप्रदेश में पंडित दीनदयाल रसोई के नाम से शुरू की गई। शुरुआती दिनों में मध्य प्रदेश के कई जिलों में इस योजना से लोगों को काफी राहत मिली और अच्छा भोजन भी मिला और मध्य प्रदेश के अधिकांश जगह पर यह दीनदयाल रसोई ऐसी महत्वपूर्ण जगहों पर खोली गई जहां पर इस योजना की लोगों को सख्त जरूरत रहती है जैसे कि सरकारी अस्पताल के पास जहां पर जिले के दूरदराज गाँव से अपने परिजनों का इलाज कराने लोग आते हैं उनमें से कई लोग महंगे होटलों मैं खाना नहीं खा सकते ऐसे लोगों को यह योजना एक वरदान से कम नहीं थी।
ना दमोह से 40 किलोमीटर दूर जाकर किसी से कटोरा लेते हैं।
इस योजना के कुछ दिन बाद मध्य प्रदेश से भाजपा की सरकार चले जाने के बाद कमलनाथ द्वारा इस योजना को बंद कर दिया गया। इसके बाद मध्यप्रदेश में उपचुनाव के बाद भाजपा को मिली पूरे प्रदेश की सत्ता के बाद यह महत्वपूर्ण गरीबों की पंडित दीनदयाल रसोई फिर से चालू कर दी गई लेकिन इस बार इस योजना के अंतर्गत जो लाभार्थी पहले ₹5 में अच्छा और भरपेट खाना खा रहे थे उन पर भाजपा की दोबारा आई सरकार ने उस दीनदयाल रसोई योजना के अंतर्गत दिए जाने वाले खाने की राशि को बढ़ाकर ₹5 से ₹10 कर दिया गया। उसके बावजूद भी लोगों का इस योजना से दूरी बनाना सवाल खड़े कर रहे थे कि आज इतनी महंगाई में जब सरकार लोगों को ₹10 में खाना दे रही है उसके बावजूद भी लोग सरकार की दीनदयाल रसोई में खाना खाने क्यों नहीं जा रहे। और जो भूले भटके लोग पहुंच भी जाएं तो उन्हें भरपेट भोजन के लिए पंडित दीनदयाल रसोई के चार कूपन खरीदने पढ़ रहे थे जिसकी कीमत 40 रुपए हैं जो गरीबों को भोजन मुहैया कराया जा रहा था।
इसी बात को लेकर हमारे चैनल डेंजर भारत ने इस खबर को प्राथमिकता देते हुए सरकार को आईना दिखाया की सरकार की दीनदयाल रसोई से सस्ता और भरपेट भोजन दमोह की एक 100 साल से पुरानी लँगड़ा होटल जो सरकार के बगैर अनुदान के बाद भी लोगों को महज ₹30 में भरपेट खाना खिला रही है यही वजह थी कि पंडित दीनदयाल रसोई में लोगों को खाना महंगा पड़ रहा था और खाने की गुणवत्ता पर भी कई लोगों ने शिकायत की थी।
अब मध्य प्रदेश सरकार को 2023 में चुनाव आते ही पंडित दीनदयाल रसोई की याद आई और गरीबों को चुनावी सौगात के रूप में कल प्रदेश सरकार द्वारा कैबिनेट मीटिंग में फैसला लिया गया कि पंडित दीनदयाल रसोई में खाना खाने आने वाले लोगों को अब₹10 की कूपन की जगह अब ₹5 का कूपन लेना पड़ेगा। कहने का मतलब है कि जो दीनदयाल रसोई में पहले ₹10 में भोजन मिलता था वह अब लोगों को ₹5 में मिलेगा सुनने में कितना अच्छा लग रहा होगा लेकिन इसकी सच्चाई आपको बता दें कि गरीबों का कहना है कि सरकार द्वारा जो ₹5 के कूपन में भोजन कराने की बात कही जा रही है हकीकत यह है कि लोगों को भरपेट भोजन के लिए₹5 वाले कूपन भी पांच लेने पढ़ते हैं। पहले यह कूपन जब ₹10 में मिलता था तो लोगों को 4 से 5 कूपन लेने पढ़ रहे थे। जिससे गरीबों को एक वक्त का खाना करीब 40 से ₹50 में पढ़ रहा था। तो भला सरकार की इस योजना का उन गरीब मजबूर लोगों को क्या फायदा जब इससे सस्ता दमोह की ही एक 100 साल पुरानी होटल खाना दे रही हो।
सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं में जब तक कमीशन खोरी और भ्रष्टाचार दूर नहीं किया जाएगा तब तक ऐसी योजनाओ से जनता को कोई लाभ नहीं होगा बल्कि नेताओं के खास ही इस योजनाओ का लाभ उठाते रहेंगे और सरकार अपनी योजनाओ का ढोल यूं ही पीटती रहेगी लेकिन जमीन पर लोग सरकार की बुराइयां ही करते दिखाई देंगे। सरकार को आईना दिखाने वाली रिपोर्ट के बाद देखना होगा सरकार इस पर कब तक ध्यान देती है या यूं ही कमीशन खोरी और भ्रष्टाचारियो की जद में सरकार की महत्वपूर्ण योजनाएं दम तोड़ती नजर आएंगी।
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