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मकर संक्रांति के पावन पर्व पर सभी देव शिवालयो पर उमड़ी भक्तों की भीड़ आज से मेलो की हुई शुरुआत। मेलों में दिखी आत्मनिर्भर भारत की झलक।

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मकर संक्रांति के पावन पर्व पर सभी देव शिवालयो पर उमड़ी भक्तों की भीड़ आज से मेलो की हुई शुरुआत। मेलों में दिखी आत्मनिर्भर भारत की झलक।

मकर संक्रांति के पावन पर्व पर आज दमोह जिले के सभी शिव मंदिर और सभी देवस्थानों पर भक्तों की काफी भीड़ देखी गई सभी देवी दीवालो पर भक्तों द्वारा पहले भगवान को जल अर्पित किया और साथ ही इस पर्व पर कई वर्षों से मान्यता अनुसार ठंड के माह को देखते हुए पूर्वजों द्वारा ऐसे पकवान बनाए जाते थे जो ठंड से लोगों को बचाए और जिससे लोगों को शीत लहर से होने वाले नुकसान से बचाव हो सके और यूमीनिटी पावर स्ट्रांग करने वाले ऐसे पकवान बनाए जाते थे जिसमें तिली के लड्डू मेथी के लड्डू पीटी के लड्डू खुरमा बतिया और भी विभिन्न प्रकार के पकवान

बनाकर रखे जाते थे जिन्हें लोग कई हफ्तों और महीनो खाते थे और जिससे लोगों का यूमीनिटी पावर मजबूत होता था और लोगों को इस शीतलहर में डॉक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं पड़ती थीं हमारे हिंदू सनातन धर्म के त्योहारों में ही ऐसा देखने को मिलता है जो त्योहारों के साथ-साथ लोगों को अपनी देशी जन औषधी से अवगत कराते थे और बीमारियों से बचाते थे हिंदू सनातन धर्म में यह त्यौहार जिसे लोग मकर संक्रान्ति के तौर पर मनाते हैं इसमें पकवानों के साथ-साथ व्यापारिक दृष्टि से भी यह त्यौहार बड़ा

महत्वपूर्ण बना हुआ है प्राचीन काल से ही 14 जनवरी को मनाने वाली मकर संक्रांति से ही सभी देवस्थानों पर मेले की शुरुआत हो जाती है जिससे व्यापारियों को काफी लाभ होता है तो वही लोगों को भी एक ही जगह कई प्रकार की वस्तुएं मेले में मिल जाती हैं और बच्चों को खेल खिलौने भी मिल जाते हैं और प्राचीन काल में लोगों को एडवेंचर के रूप में हाथों से चलने वाले झूले पर झुलाकर लोगों को एडवेंचर का मजा दिलाते थे आज यह झूला भी हाथों की जगह मशीनों से चलने लगे हैं लेकिन प्राचीन काल से लगने वाले मेले में अब नए तोर तरीके से यह मेलें संचालित होने लगे हैं जिसमें प्राचीन काल की धरोहर के साथ नए झूले और आत्मनिर्भर भारत की झलक भी देखी जा सकती है।

आत्मनिर्भर भारत की तस्वीर और प्राचीन कालीन धरोहर के साथ मेला लगा।

आज से ही दमोह क्षेत्र में कई जगह पर मेले की शुरुआत हो गई है जिसमें प्रमुख रूप से दमोह जिले में लगने वाले मेले में दमोंह के जटाशंकर धाम पर लगने वाला मेला भी भर चुका है तो वही मडकोले का मेला भी भर चुका है और चकेरी और महादेव घाट के मेले भी लोगों को अपनी ओर खींच रहे हैं और यहां की मान्यताओं को देखते हुए लोग भी इन सभी जगह जाकर भगवान से प्रार्थना कर धर्म लाभ उठाते हैं और मेले का भी आनंद लेते हैं।

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