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दमोह रेलवे स्टेशन से महज 4 किलोमीटर दूर रेलवे लाइन को क्षति पहुंचते हुए बगैर परमिशन रेलवे ट्रैक के नीचे से मशीनों से बनाई जा रही थी सुरंग। दमोह रेलवे के जिम्मेदार अधिकारियों को नहीं थी इसकी कोई खबर।

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दमोह रेलवे स्टेशन से महज 4 किलोमीटर दूर रेलवे लाइन को क्षति पहुंचते हुए बगैर परमिशन रेलवे ट्रैक के नीचे से मशीनों से बनाई जा रही थी सुरंग। दमोह रेलवे के जिम्मेदार अधिकारियों को नहीं थी इसकी कोई खबर।

दमोह मध्य प्रदेश के रेलवे स्टेशन से महज 4 से 5 किलोमीटर दूर सरदार वल्लभ भाई पटेल ओवर ब्रिज के नीचे बीते दिनों दमोह रेलवे की घोर लापरवाही देखने को मिली जहां पर रेलवे के जिम्मेदार स्टेशन मास्टर P,W,I, वा A,D,N को इस बात की कोई खबर नहीं थी कि सरदार पटेल ओवर ब्रिज के नीचे प्राइवेट कंपनी द्वारा मशीन लगाकर रेलवे लाइन के नीचे से एक सुरंग बनाई जा रही थी जिसमें से 32KV इलेक्ट्रिकसिटी गुजारी जानी है हमारे संवाददाता जब उस रास्ते से निकले तो उन्होंने देखा रेलवे लाइन के पास एक बड़ी सी मशीन लगी है और वह रेलवे लाइन के नीचे से

सुराग कर रहे हैं तो जिम्मेदार नागरिक होने का कर्तव्य निभाते हुए उसने रेलवे स्टेशन के स्टेशन मास्टर को फोन किया और बताया तो उन्होंने बताया इस मामले में मुझे कोई जानकारी नहीं है कि रेल की लाइन के नीचे से कोई मशीनों से सुराग कर रहा है क्योंकि रेलवे की पटरी पर कोई भी कार्य चलता है तो स्टेशन मास्टर को इस बात की सूचना होती है जिससे वह ट्रेनों को सुचारू रूप से दिशा निर्देश दे सके और कोई भी अप्रिय घटना ना हो इस पर स्टेशन

मास्टर ने फोन पर यह बात मानी कि मेरे पास कोई जानकारी नहीं है और मैं अभी जीआरपीएफ को भेजता हूं तब तक हमारे संवाददाता ने मशीन से सुराग करने वाले लोगों से पूछताछ की और उनसे परमिशन मांगी तो उन्होंने एक हाथ से लिखा बहुत पुराना कोई कागज दिखाया है जिसमें उन्होंने किसी कार्य की परमिशन लेने की पावती थी उसे वह परमिशन बता रहा था परमिशन देखने के बाद जब हमारे संवाददाता ने उसे कहा कि यह परमिशन नहीं है जिस पर वह झल्लाते हुए बोला जहां जाना हो चले जाओ जहां शिकायत करना हो कर दो उसके बाद हमारे संवाददाता ने हमें फोन लगाया तब मैंने रेलवे के जिम्मेदार ऑपरेशन T,I,को फोन लगाया वह जीआरपीएफ पुलिस के साथ मौके पर पहुंचे और उन्होंने वहां पर काम करने वाले लोगों से परमिशन दिखाने को कहा मौके वा कार्यस्थल पर परमिशन नहीं थी और जिम्मेदार अधिकारियों को काम करने की कोई जानकारी नहीं दी गई जिस पर एक सीरियस ऑफेंस बनता है रेलवे लाइन को क्षति पहुंचने का अगर इनके पास परमिशन है वी तब भी यह जिम्मेदार अधिकारियों के कंसर्न के

बगैर कार्य नहीं कर सकते जो कि यह कर रहे थे जीआरपीएफ के एएसआई कमल सिंह यादव वहां काम कर रहे मजदूर व ऑपरेटर को अपने साथ ले गए जीआरपीएफ थाने में उनसे पूछताछ हुई और उन्होंने छोड़ दिया जब मैंने पूछा कि उन लोगों पर क्या कार्यवाही हुई तो उन्होंने बताया कि मैं स्टेशन मास्टर के कहने पर वहां गया था अगर स्टेशन मास्टर शिकायत करते है तो मैं एफआईआर करता लेकिन स्टेशन मास्टर द्वारा इतनी बड़ी चूक को हल्के में टाल दिया गया और इसकी कोई शिकायत नहीं की जबकि आम जनता को अगर मजबूरी में भी रेलवे लाइन पैदल क्रॉस करनी पड़े तो यही जीआरपीएफ के एएसआई कमल सिंह यादव लोगों को पकड़कर मोटी रकम वसूल लेते हैं लेकिन क्या वजह है कि रेलवे को क्षति पहुंचाने वाले लोगों को जब जिम्मेदार पत्रकार जीआरपीएफ के हवाले कर देते हैं और वह अपनी जिम्मेदारी न निभाते हुए दोषियों को यूं ही छोड़ देते हैं इसकी वजह तो फिलहाल जीआरपीएफ के एएसआई कमल सिंह ही बता सकते हैं।

रेलवे के जिम्मेदार अधिकारियों को बगैर बताए रेल पटरी के नीचे से सुरंग बनाई जाने से अगर कोई दुर्घटना हो जाती तब यही आला अधिकारी अपना सारा दोष इन्हीं ठेकेदारों पर डाल देते जबकि यह भी भली-भांति जानते हैं कि इन दिनों बरसात का मौसम है और जमीन पूरी तरह गीली वह बुझबूसी बनी हुई है इनके सुरंग किए जाने से कोई बड़ी घटना भी हो सकती थी हमारे जिम्मेदार

संवाददाता ने ऐसे लोगों को उनके हवाले किया लेकिन इन्होंने उन पर कोई कार्यवाही नहीं की यह भी एक बड़ा विषय है इस संबंध में रेलवे के आला अधिकारियों को संज्ञान लेकर ऐसे जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्यवाही करनी चाहिए ऐसे जिम्मेदार अधिकारियों पर अगर कार्यवाही नहीं होती तो ऐसे में आम जनता भला क्यों रेलवे की मदद के लिए आगे आएगी क्योंकि जब जिम्मेदार नागरिक अपनी जिम्मेदारी निभाकर इन्हें आरोपी देवी दे तो इन्हें कोई कार्यवाही तो करनी ही नहीं है।

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